आजा फिर से गौरैया
चीं-चीं करती गौरैया,
आजा फिर से आँगन में।
छोटी सी है तू चिड़िया,
देखा मैंने पुस्तक में।।
सुना है मैंने पहले तुम,
मेरे घर भी आती थी।
दाल का दाना खाती थी,
ठंडा पानी पीती थी।।
दाल का दाना लाई हूँ,
देखो तुझे खिलाने को।
देखो यह ठंडा पानी,
लाई तुझे पिलाने को।।
देख इधर कुछ तिनके हैं,
सुंदर घर बना लेना।
चीं-चीं, चीं-चीं करके तुम,
घर मेरा चहका का देना।।
आजा फिर से तू चिड़िया।
चीं-चीं करती गौरैया।
आजा फिर से तू चिड़िया,
चीं-चीं करती गौरैया।।
रचयिता
अर्चना आर्या,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रामपुर-1,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद-मुजफ्फरनगर।
Bahut sundar.
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