ऐसा प्यारा मेरा देश
ऐसा प्यारा मेरा देश,
जग से न्यारा मेरा देश,
इसका हर त्योहार विशेष,
होली भी देती संदेश
जाओ भूल पुराने द्वेष।
भूलो कड़ुवाहट अवशेष।।
होली देती...........
सारे शिकवे गिले भुलाकर
इक दूजे को रंग लगाएँ,
ऐसा रंग लगे समता का
समरसता में सब रंग जाएँ; होली देती ये उपदेश,
भूलो कड़ुवाहट और ठेस।।
होली देती....
काला गोरा अमीर गरीब
लगकर गले आते करीब,
धर्म जाति सब खो जाते हैं
कीचड़ तक हम सह जाते हैं;
होली कहती यही हमेशा,
जाओ भूल पुराने द्वेष।।
होली देती........
ईश्वर भक्ति के रस्ते में
कितने भी संकट आएँगे,
किंतु भक्त की श्रद्धा को वे
तनिक न विचलित कर पाएँगे;
हाथी के पैरों के नीचे,
सर्पों से भी डसवाएँगे,
अग्नि में भी जलवाएँगे, अनगिन बाधा पहुँचाएँगे,
किंतु परै ना उनकी पेश
होली का संदेश विशेष......
रचयिता
रविकान्त शर्मा "मधुर",
एआरपी,
विकास खण्ड-जलेसर,
जनपद-एटा।
बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना के लिए
ReplyDeleteThanks a lot mam
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