भोले- भाले बच्चे
भोले-भाले बच्चे हम, कुछ करके दिखलाएँगे।
इस धरती पर नया सवेरा नई शाम लें आएँगे।
नहीं किसी से बैर रहे, सभी दिलों में प्यार जगे,
नई उमंग से, नई शाम का नया सवेरा लाएँगे।
भोले- भाले बच्चे हम, कुछ करके दिखलाएँगे।
नफरत की दीवारों पर प्रेम का सेतु बनाएँगे।
एक- दूजे के पूरक बन नयी आस जगाएँगे
सदा दिलों में प्रेम बसे, नहीं किसी से बैर रहे,
देश के हर कोने- कोने से अंधकार मिटाएँगे।
भोले-भोले बच्चे हम, कुछ करके दिखलाएँगे।
खुशियों के गुलाल उड़े, नफरत प्यार से धोएँगे।
ईद, दिवाली, होली पर्व मिलकर सभी मनाएँगे।
गिरि जैसी दृढ़ शक्ति रहे, कोमल मन विचार बने।
इस होली पर बीज प्रेम के मन में सबके बोएँगे।
भोले- भाले बच्चे हम कुछ करके दिखलाएँगे।
निर्धन, असहाय जनों में, आशा किरण जगाएँगे।
मन मंदिर में होली के संग खुशियाँ भी ले आएँगे।
छोटे- बड़े, अमीर- गरीब, हम बच्चों में रहे न दूरी,
मिलजुल कर हम रहें साथ में, ऐसा देश बनाएँगे।
भोले- भाले बच्चे हम कुछ करके दिखलाएँगे।
रचयिता
शगुफ्ता रहमान 'सोना',
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय धीमरखेड़ा नवीन,
विकास खण्ड-काशीपुर,
जनपद-ऊधम सिंह नगर,
उत्तराखण्ड।
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