शहादत दिवस
क्रान्ति की ज्वाला जब दिलों में धधकने लगा,
देश प्रेम का परिंदा जन-जन में चहकने लगा।
आजादी पाने को शहीदों ने बलिदान किया,
वन्देमातरम् की खुशबू से, चमन चहकने लगा।
अहले वतन के खुशी को, फाँसी पर वो झूल गये,
आजादी की मशाल फिर तो, हर दिल में दहकने लगा ।
अपना धर्म निभा गये, भगत सिंह, अशफ़ाक,
लहू से तिलक किया, सोया जज्बात सनकने लगा।
कर रहे नमन आपको, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू,
शहादत में मिली आजादी, देश तुम्हें नमन करने लगा।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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