होलिका दहन
रानी ने पूछा नानी से,
नानी जरा बताना तो।
होलिका दहन क्यों करते हैं,
भेद हमें समझाना तो।
हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की
कथा सुनाई नानी ने।
होलिका उसकी बुरी बहन थी,
यह समझाया नानी ने।
कैसे नन्हें बालक को वह
मृत्यु देना चाहती थी
राज्य लालसा की खातिर
नर बलि चढ़ाना चाहती थी
ईश्वर के वरदान से उसने
पाप कर्म करना चाहा
इसीलिए ईश्वर ने उसको
कड़ा दण्ड देना चाहा
अच्छाई की विजय बुराई पर
होकर ही रहती है
दहन होलिका जग को
ये ही संदेशा देती है।
होलिका की अग्नि में
अपने मन की बुराई दहन करो
प्रेम और सौहार्द से रहने का
मन में संकल्प करो
रचयिता
शालिनी शर्मा,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापुर,
विकास खण्ड-भगवानपुर,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।
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