प्यारी गौरैया

तन मन में हमारे गौरैया,

उमंग नई भर जाती है।

फुदक-फुदक गौरैया जब,

पास हमारे आती है।


नन्हें-नन्हें पंखों वाली,

कितनी प्यारी-प्यारी है।

हम सबके घर आँगन की,

गौरैया शान हमारी है।


चूँ, चूँ का गाना गाकर ये,

सबका दिल बहलाती है।

जब गौरैया दाना चुगने,

चौबारे पर आती है।


छोटी सी प्यारी गौरैया,

करतब खूब दिखलाती है।

हौंसलों की ताकत से,

अम्बर नाप ले जाती है।


कद है छोटा गौरैया का,

पर इरादे बड़े वो रखती है।

अपने मेहनत कर दम पर,

जीवन में खुशियाँ भरती है।


नटखट से अंदाज तेरे,

सबके मन को भाते हैं।

संग तेरे उड़ जाने को,

सपने खूब सजाते हैं।


कहाँ गई हो गौरैया तुम,

अब नजर ना आती हो।

सच बोलते हैं हम सब,

याद हमें तुम आती हो।


माफ़ करो गौरैया हमें तुम,

हम गुनहगार तुम्हारे हैं।

काट पेड़ और जंगल सब,

घर बार तेरे उजाड़े हैं।


विलुप्त हो रही गौरैया अब,

ये बात बड़ी दुःखदायी है।

चलता रहा ये सिलसिला जो,

अब शामत हमारी आई है।


आओ लें संकल्प आज हम,

गौरैया को बचाएँगे।

वृक्षारोपण करके गौरैया का,

घर और द्वार सजाएँगे।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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