जीवन एक रंगमंच

जीवन एक रंगमंच है 

सबका यहाँ निश्चित किरदार हैं।

 

कहीं सुखों के पर्वत

कहीं दुखों के पहाड़ हैं।

 

कहीं बहती नदियाँ

कहीं चिलचिलाती धूप है।

 

अजब यहाँ का मेला है 

कोई भीड़ में भी अकेला है। 


कहीं  मिलने की आस है

कोई खो कर उदास है। 


कहीं रिश्तो से सजा संसार है

किसी को दूसरे से न कोई दरकार है।

 

सब यहाँ ईश्वर के हाथ की कठपुतलियाँ हैं 

करते अपने हिस्से की कलाकारियाँ हैं। 


रंगमंच सा जीवन यूँ ही चलता रहेगा

हर कोई अपना पात्र निभाता रहेगा।


रचयिता
सुषमा मलिक,
सहायक अध्यापक,

कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,

विकास खण्ड-सिंभावली, 
जनपद-हापुड़।

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