विश्व जल दिवस

जल है तो जीवन है, जल से ही हैं साँसें,

बचाओ जल वरना कम हो जाएँगी साँसें।

जल से हमारी-तुम्हारी जीवन कहानी,

जल बिन सूनी है हम सबकी आसें।।


पानी का मोल समझो, हम सबकी है जिम्मेदारी,

नहीं संग्रहण किया तो कीमत चुकानी होगी भारी।

जल की कमी से उत्पन्न होती है परेशानी,

बिन जल तड़पेगी ये सृष्टि इतनी प्यारी।।


22 मार्च 1992 को एक मुहिम थी चलायी,

स्वच्छ जल की उपलब्धता होगी सबको भाई।

संयुक्त राष्ट्र की ये पहल रंग लायी,

विश्व जल दिवस की परिकल्पना अस्तित्व में आयी।।


बढ़ रहे हैं उद्योग, बढ़ रही है जनसंख्या,

बिना जल उत्पन्न होगी विकट समस्या।

इस वर्ष की थीम है "पानी का महत्व"

समझो इसकी गम्भीरता को मेरे भैया।।


हम सबको यह प्रण लेना ही होगा,

जल को बचाना अब कर्तव्य होगा।

पशु-पक्षी, वनस्पति, सब हो जाएँगे बेहाल,

जल बिना अब न कोई विकल्प होगा।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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