विश्व जल दिवस
जल को ना फैलाइए, जल बिन जिए ना कोई।
प्यास बुझाये हर जीव की, जल जैसा ना कोई।।
कुआँ मिटे, तालाब मिटे, मिटा नदियों से नीर।
फैला रहा चहुँओर मानव, समर पंप से नीर।।
पॉलीथिन का प्रयोग तो, जल कर रहा है बेकार।
नदियाँ भी दूषित हुईं, गंगा हुई बहुत बेजार।।
टप- टप पानी को, टोंटी से न टपकन देव।
प्लम्बर को बुलाय के, जल्दी ठीक करवा लेव।।
थोड़ा- थोड़ा फैलाव निज, ठण्डा -ठण्डा नीर।
धरती पर जो निपट गयो, नहीं मिटेगी पीर।।
चहुँओर प्रदूषण कर रहो, मानव है हृसाय।
घात करेंगी जब प्रकति, मानव रोय पछताय।।
जल अनमोल बचाइये, दीप करें विनती।
समय रहे जो ना चेते, मिट जायेगी धरती।।
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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