विश्व जल दिवस
बड़े, बुजुर्गों व बच्चों को हम मिलकर यही बतायेंगे,
यदि पानी नही बचायेंगे तो सब प्यासे मर जायेंगे!!
मत बर्बाद करो पानी,
होगी बहुत परेशानी!
पानी से ही हम सबका संसार है,
हर एक जीव का पानी पर अधिकार है!
१९९३ में थी इसकी शुरूआत हुई,
रियो डी जेनेरियो में इस मुद्दे पर बात हुई!
सहमति से सबके प्रस्ताव पास हुआ,
२२ मार्च का दिन तबसे है खास हुआ!
नदियों को दूषित करना हम सबकी भारी भूल है,
वृक्ष काट कर उगा रहे, अपनी राहों में शूल है!
पानी की ये दशा देख मुझको होती हैरानी है,
धरती फूँकने वाले क्यों ढूँढें चन्दा पर पानी हैं!
आओ मिलकर कसम ये खायें,
पानी को ना व्यर्थ बहायें!!
रचयिता
अंकुर पुरवार,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,
विकास खण्ड-मलासा,
जनपद-कानपुर देहात।
सुन्दर व भावपूर्ण रचना
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