मेरी होली कब आएगी
मेरे अपने हुए पराए,
सोच- सोच कर मन घबराए।
वक्त ने कैसे दिन दिखलाए..?
बिन बच्चों के अब रहा न जाए।।
कितनी रौनक थी मेरे अँगना,
जाने वो ऋतु कब आएगी..?
माँ सरस्वती विनती सुन लो,
मेरी होली कब आएगी....?
मेरा भी मन करता है बच्चों संग,
अपने अँगना खुशी मनाऊँ।
छोटे- बड़े सभी का स्वागत,
आनन्दित होकर मैं हर्षाऊँ।।
आते-जाते संदेशमाला क्या..,
जख्म मेरे भर पाएगी...?
उम्मीदें जगतीं, फिर टूट जातीं,
मेरी होली कब आएगी...?
इन्तजार में साल बीत गया,
और मैं थक गया इजहार में।
जाने कब तक चलेगा यह सब..?
सोच रहा हर हाल में।।
दु:खी हो गया अंतर्मन,
क्या कभी खुशी भी आएगी...?
विनती मेरी सुन लो परमेश्वर,
मेरी होली कब आएगी...?
थक गई हैं बूढ़ी आँखें,
उम्मीद अभी भी बाकी है।
मेरे भी अच्छे दिन आएँगे,
सुख-दुख दोनों साथी हैं।।
धैर्य और विश्वास है मेरा,
रंग यह शीघ्र लाएँगे।
मन में फिर भी प्रश्न है आता,
मेरी होली कब आएगी....?
रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
बहुतख़ूब💐💐💐
ReplyDelete