ईद मुबारक

कल हुआ दीदार चाँद का, आज हम सब ईद मनाएँगे,
होकर मस्त मगन सब मिलकर, खूब मौज उड़ाएँगे।

ख़तम हुई इंतजार की बेला, आज त्योहार ईद का आया है,
गिले शिकवे सब दिल से मिटाने, त्योहार पावन ये आया है।

शव्वाल की मीठी ईद प्रतिवर्ष , एक बार ही आती है,
मिलजुल कर हम रहें प्यार से, यही सबक सिखाती है।

घर द्वार सजाकर अपने-अपने,खुशियों के रंग उड़ाएँगे,
नूतन वस्त्र धारण कर सब, होकर खुश इतराएँगे।

पूड़ी पकवान और सेवइयाँ, घर सबके बनाए जाएँगे,
सज धज कर माँ बहनें सारी, एक-दूजे से मिलने जाएँगे।

ईदगाह के मेले में जाकर, बच्चे खेल-खिलौने लाएँगे,
अपने-अपने हमजोली संग, सब मिलकर धूम मचाएँगे।

मेहंदी रचे हाथों में युवतियाँ, चूड़ी कंगन खनकाएँगी,
सखियों संग मिल-जुलकर, नाचेंगी, झूमेंगी, गाएँगी।

बड़े बूढ़े सब मिल-जुलकर, अल्लाह की इबादत गाएँगे,
मिलकर गले एक दूजे के, गिले शिकवे सब मिटाएँगे।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब आपस में हैं भाई-भाई,
यही सबक सिखाने हमको, प्यारी सी ये ईद है आई।

मानव हैं हम मानवता का सबको पाठ पढ़ाएँगे,
इंसानियत और भाईचारे का सबको संदेश सुनाएँगे।

रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।


Comments

Total Pageviews