धूम्रपान

देह नहीं यह देवालय  है,
इसका सब सम्मान करो।
शिद्दत से  मिला है  जीवन,
नशे से इसको न बर्बाद करो।।

शराब, गुटका, तम्बाकू या  खैनी,
हर युवा में क्यों इसकी बेचैनी?
कई  रोगों  के  ये  खजाने,
मत  खाओ  जाने अनजाने।।
 
जीवन है  सबका अनमोल,
क्यो सिगरेट के धुएँ में उड़ा रहे?
धूम्रपान जीवन  का  दुश्मन,
क्यों अनचाही मौत  बुला  रहे?

 बूढ़ा या जवान नशा न कीजिए,
खुद  को  खुशियाँ  दीजिए।
घर परिवार पर ध्यान  दीजिए,
सबका सम्मान हर हाल पा लीजिए।।

जीवन  का  उद्देश्य  नहीं,
नशे से  आनंदित  होना।
खुशियाँ इससे मिलती नहीं,
त्याग नशे को फिर जानना।।

31मई विश्व तम्बाकू दिवस,
कसम  आज  खाएँगे  बस।
नशे की हर लत से दूर रहेंगे,
जीवन को सरलऔर सुगम बनाएँगे

रचयिता
सन्नू नेगी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सिदोली,
विकास खण्ड-कर्णप्रयाग, 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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