प्रतिभा दिवस

नवाचारी प्रयोग से शिक्षण हुआ,
रोचक, सरल, सुगम व सरस्।
माह के अंतिम शनिवार विद्यालय में,
मनायें हम सब “प्रतिभा दिवस"।

इसी दिवस से बच्चों ने जाना,
शिक्षा पाना कोई बोझ नहीं।
खेल-खेल में ज्ञान है बढ़ाना,
इसमें तो कोई भी दोष नहीं।

“बैग फ्री डे” पर नवाचार में बच्चे,
अदभुत सामान करते हैं एकत्र।
अखबार, पत्ते, पत्थर, रैपर आदि से,
“टी0 एल0 एम0" बनाते हैं विचित्र।

 विषय या संबोध जैसा भी हो,
करते हैं बच्चे प्रोजेक्ट निर्माण।
शैक्षिक भ्रमण व  प्रयोग करके,
”बाल शोध" से पाएँ स्थायी ज्ञान।

गुरु- शिष्य के नाते में बच्चों संग,
अब पाई है सच्ची मित्रता।
आत्मविश्वास से भरे हुए यह
बच्चे, पाएँगे निश्चय ही सफलता।

विद्यालय बन जाता है, प्रयोगशाला,
प्रयोग सिद्ध कर, अपनाते वह ज्ञान।
कहानी, कविता, लिख व नाटक द्वारा,
दिखी प्रतिभा व मिली नई पहचान।

कमजोर छात्र, जो पढ़ने से घबराते हैं,
खेल-खेल में अब सब समझ जाते हैं।
भाषाई, गणितीय, वैज्ञानिक खेलों में,
भरपूर ज्ञान व मनोरंजन भी पाते हैं।

विद्यालय बना “आनंद आलय",
“शिक्षा के प्रतिफल" पाएँ, पूरे बरस,
छिपी प्रतिभाओं को निखारने का,
अवसर देता यह “प्रतिभा दिवस"।

रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय लमगड़ा,
विकास खण्ड-लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।


Comments

Post a Comment

Total Pageviews