मेरे भैया

नन्हा मुन्ना प्यारा भाई,
जब से आया मेरे घर में।
चारों ओर है छाईं खुशियाँ,
जैसे - नभ, जल और थल में।
       भैया के बिन बहन अधूरी,
       घर की हो गई अब खुशियाँ पूरी।
       सारे घर में उधम मचाएँ,
        जीवन की बगिया महकाएँ।
बीता बचपन भाई के संग,
जीवन के देखे अनेक रंग।
समय गुजरा बडे़ हो गये,
अपनी राहों में खड़े हो गये।
        सूरज, चंदा जैसा भाई,
        झिलमिल तारों जैसा भाई।
        तीज, त्यौहार पर आता जाता,
         मन को बड़ा सकून दे जाता।
आसमां की ऊँचाई तक,
सागर की गहराई तक।
भाई का रिश्ता है ऐसा,
दुनिया में कोई नहीं जैसा।
             जुग-जुग जियो मेरे भैया,
             हर दुःख से तुम दूर रहो।
             यही दुआ है हर बहन की
             तुम खुशियों से भरपूर रहो।

रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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