राजमाता अहिल्याबाई होल्कर

आओ हम सब याद करें नारी शक्ति की गाथा आज,
इतिहास के पन्ने उलट पलट कर उसमें  खो जाएँ हम आज।

महारानी अहिल्याबाई हैं नारी शक्ति की एक मिसाल,
धूल चटाकर दुश्मन को, कायम की नारी शक्ति की एक मिसाल।

महाराष्ट्र के चौढ़ी ग्राम में खिली कली एक हिंदुस्तानी,
31 मई 1725 को मनकोजी राव के घर जन्मी एक वीरांगना मर्दानी।

तन की सुंदर मन की पावन, शिव  भक्त थी ये सुकुमारी,
थी ना वह महलों की राजकुमारी पर थी अपने बाबुल की राजदुलारी।

जब ना थी स्त्री शिक्षा की  कल्पना, पिता ने अपनी पुत्री को खूब पढ़ाया।
संस्कार, दयाभाव और साहस का अहिल्या को पाठ पढ़ाया,

देख अहिल्या आठ साल की, मल्हार राव पेशवा हुए प्रभावित,
अहिल्या के पिता समक्ष, अपने बेटे संग ब्याह किया प्रस्तावित।

आठ साल की कच्ची उमर में ब्याह रचाकर मालवा आई अहिल्या,
खांडेराव की रानी बनकर, एक पुत्र एक पुत्री पाई अहिल्या।

अहिल्या की खुशियों पर शनि की छाई काली छाया,
छीन लिए अहिल्या के सुख सारे, किस्मत ने अपना रंग दिखाया।

1754 के कुम्भार युद्ध में पति खांडेराव वीरगति को प्राप्त हुए,
21बरस की बाली उमर में अहिल्या पर विपदा के प्रहार हुए।

कैसे जिएगी अब वह पति बिन, है राजा बिन कैसी रानी,
अहिल्या ने तब अपने पति की चिता संग, सती होने की थी ठानी।

मल्हार राव होलकर ने आकर तब पिता का धर्म निभाया,
 पुत्र तो गया अब मेरा बेटी, मत जा तू अब ये फरमाया।

बात मान ससुर की अपनी अहिल्या ने विचार सती का त्यागा,
करने लगी जोड़ने की फिर कोशिश, किस्मत का टूटा धागा।

1766 में अहिल्या की किस्मत ने फिर से अपना रंग दिखाया,
छीना पिता समान ससुर को, दुःख अहिल्या का और बढ़ाया।

बिखरने लगा मालवा अब ताश के पत्तों की तरह,
मिल गई थी दुश्मनों को राज्य हड़पने कि एक वजह।

माँ के नेतृत्व में बेटे ने फिर अपने शासन की कमान सँभाली,
आया फिर सुख का मौसम, छँट दुखों की  छाया काली।

एक वर्ष पश्चात विधाता ने, अहिल्या की फिर से परीक्षा ले डाली,
1767 में छीन लिया बेटा उसका, हो गया अहिल्या का आँचल खाली।

पति ससुर और बेटे को खोकर, कैसे धीरज अब धरे बेचारी,
बेबस मजबूर अहिल्या की किस्मत पर क्यों छाई इतनी लाचारी।

सब कुछ खोकर अपना रानी ने, हिम्मत फिर भी ना थी हारी,
अपनी प्रजा की खातिर, उठ खड़ी हुई ये किस्मत की मारी।

11 दिसंबर 1767 में अहिल्या इंदौर की स्वयं बनी फिर शासिका,
वीर पराक्रमी योद्धा संग वह थी एक कुशल समाज सेविका।

अस्त्र-शस्त्र से सज्जित होकर, हाथी की करे सवारी,
अहिल्या जैसी मर्दानी के आगे, दुश्मन की सारी सेना हारी।

दिखा दिया अहिल्या ने दुनिया को, अबला नहीं है ये कोमल नारी,
नारी शक्ति के जिद के आगे घुटने टेके  दुनिया सारी।

आओ हम सब करें नमन, अहिल्या बाई को मिलकर आज,
कभी ना हारेंगे हम हिम्मत, मिलकर  ये शपथ उठाएँ आज।

रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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