मधुमक्खी दिवस तथा पुष्प दिवस

मधुमक्खी  है   देखो  कीट वर्ग में आती।
शहद स्वादिष्ट और पौष्टिक हमें दे जाती।।

भुनगा  या डम्भर देखो  छोटी मधुमक्खी होती।
अथक प्रयास के बाद भी कम शहद है जोड़ती।।

भवँर    उत्तर   भारत  में    कहलाती।
दक्षिण भारत   में  सारंग    कहलाती।।

पोतिंगा  मधुमक्खी एक छत्ता बनाती।
500 ग्राम तक शहद हमें ये दे जाती।।

खैरा  मधुमक्खी  ग्राम में है  पाई जाती।
ग्रामीणों द्वारा सतकोचवा पुकारी जाती।।

तीन मधुमक्खियों से मिलकर बनता उनका परिवार है।
रानी  श्रमिक तथा  नर   मधुमक्खी   जिनका   नाम है।।

श्रमिक मधुमक्खी करती है अंडों की देखभाल।
पुष्पों  से  लाती  ये  शहद  करती है बड़ा कमाल।।

एक अकेली रानी  मक्खी होती बड़ी चमकीली।
अंडे  देना  इसका   काम  होती  बहुत  फुर्तीली।।

मधुमक्खी  के अध्ययन को एपीकल्चर कहते हैं।
स्वच्छ पर्यावरण की पहचान जिसमें हम रहते हैं।।

मधुमक्खी के साथ पुष्प दिवस मनाया जाता है।
इनके    योगदानों  को  सदा  सराहा   जाता   है।।

रचयिता
आकांक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर,
विकास खण्ड-सुरसा, 
जनपद-हरदोई।

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