हे विद्यादायिनी

हे विद्यादायिनी, हे वीणावादिनी,
हे हंसवाहिनी मुझे विद्या का वर दे दो

वह वाणी दो, जो मीठी हो-ओजस्वी हो
कर दूँ अपनी वाणी से सबका शीतल मन मैं

तुम हो स्वरधारिणी, मुझको वाणी का वर दे दो

हे विद्यादायिनी, हे वीणावादिनी,
हे हंसवाहिनी मुझे विद्या का वर दे दो

वह ज्ञान दो, जिससे आत्म ज्योति प्रखर हो
अज्ञान के अंधकार को मिटा, ज्ञान पुंज बन जाऊँ मैं

तुम हो ज्ञानदायिनी,  मुझको ज्ञान का वर दे दो
हे विद्यादायिनी, हे वीणावादिनी,
हे हंसवाहिनी मुझे विद्या का वर दे दो

हर दिन तुमको पूजती हूँ, हर दिन तुमको शीश नवाती हूँ मैं
जीवन के हर पल में तुमको याद फरमाती हूँ मैं

हाथ जोड़कर, शीश नवाकर माँगती तुमसे ये वरदान
अपनी वीणा का एक तार मुझे दे दो

हे विद्यादायिनी, हे वीणावादिनी,
हे हंसवाहिनी मुझे विद्या का वर दे दो

रचयिता
अरूणा कुमारी राजपूत,
सहायक अध्यापक,
आदर्श अंग्रेजी माध्य्म संविलयन विद्यालय राजपुर,
विकास खण्ड-सिंभावली, 
जिला-हापुड़।

Comments

  1. Very nice, saraswati maa ki kripa aap pr bani rahi

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