जश्ने ईद

नज़र जो आए ईद का चाँद
आ जाती ख़ुशियाँ सारे जहां
मुबारकां कहते सारे तमाम
करते आपस में सबको सलाम।

माह भर के इन्तज़ार के बाद
आती है मीठी ईद,
रोज़ेदारों का नायाब तोहफा
लाती है मीठी ईद।

मुहब्बतों से ग़िले श़िकवे मिटाकर
गले मिलाती है मीठी ईद,
सिवई शीर क़िमामी की ख़ुशबू से
घर को महकाती है मीठी ईद।

नयी पोशाकें पहने सभी
इठलाती है मीठी ईद,
चूड़ियों की खनक मेंहदी की ख़ुशी
घर को महकाती मीठी ईद।

ईद की नमाज़ से ईदगाहों को
गुलज़ार कराती मीठी ईद,
बच्चों को मिले ईदी(पैसे) साल में
इन्तज़ार कराती मीठी ईद।

मुल्क़ के हाल ना होते बद्तर
तो और ख़ुशी लाती मीठी ईद,
इस साल के मानिन्द फिर
कभी ना आए ऐसी मीठी ईद।

रचयिता
फरहत तबस्सुम,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय कालिका,
विकास खण्ड-धारचूला,
जनपद-पिथौरागढ़,
उत्तराखण्ड।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews