सरकारी स्कूल में

तर्ज - मुझे छोड़कर जो तुम जाओगे

सरकारी स्कूल में जो तुम जाओगे
सब कुछ पाओगे, सब कुछ पाओगे

मम्मी पापा से कहना, ना करना अब भूल
हम सबको मिलकर है, साथ चलना स्कूल
जो हर दिन स्कूल जाओगे, सब कुछ पाओगे
सब कुछ पाओगे
सरकारी स्कूल में जो तुम जाओगे,

एमडीएम, फल, जूता मोजा पाओगे
पुस्तकें, स्वेटर भी तुम अपनी पाओगे
इसीलिए स्कूल में जो तुम जाओगे
सब कुछ पाओगे, सब कुछ पाओगे
सरकारी स्कूल में जो,

वहाँ गुरु तुमको खेल भी खिलाएँगे
नित्य नई- नई कहानियाँ भी सुनाएँगे
नव पुष्पों की तरह, तुमको सजाएँगे
तुमको सजाएँगे
सरकारी स्कूल में जो तुम,,,,,,

योग्य शिक्षक से जब तुम शिक्षा पाओगे
नव भारत का निर्माण भी कर पाओगे
अपनी रचनत्मकता जो तुम बढ़ाओगे
सफल हो जाओगे, सब कुछ पाओगे
सरकारी स्कूल में जो तुम,

मन से पढ़ने जो तुम सब रोज आओगे
डॉक्टर, वकील, इंजीनियर बन जाओगे
सरकारी सेवाओं का लाभ भी उठाओगे
सब कुछ पाओगे,
सरकारी स्कूल में जो तुम आओगे
सब कुछ पाओगे, सब कुछ पाओगे

सरकारी स्कूल में जो तुम जाओगे
सब कुछ पाओगे, सब कुछ पाओगे

रचयिता
अनुज पटैरया,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय टिकरिया,
विकास क्षेत्र-मानिकपुर,
जनपद-चित्रकूट।

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