चदरिया नीली रे झीनी

लिख बाबा नाम बुन डाली,

चदरिया नीली रे झीनी।

ओढ़ चदरिया मऊ मैं पहुँची,

पिता राम जी को शीष नवाया।


माँ भीमा का आशिष पाकर,

मैंने माँ भीमा को ओढ़ाई,

चदरिया नीली रे झीनी।।

ओढ़ चदरिया घूमी बस्ती,

निर्बल जन में पीड़ा पाई।


अलख जगाकर परिवर्तन की,

मैंने शोषितजन को ओढ़ाई,

चदरिया नीली रे झीनी।।

ओढ़ चदरिया गया मैं पहुँची,

छवि अद्भुत है बुद्ध की पाई।

संघ धम्म की शरण में आई,

मैंने बुद्ध चरण में चढ़ाई ,

चदरिया नीली रे झीनी।।


ओढ़ चदरिया गयी मैं संसद,

कानूनों पर सुनी थी चर्चा।

देख समझ कानूनी समता,

मैंने संविधान ओढ़ाई,

चदरिया  नीली रे झीनी।


14अप्रैल पहुँची पार्क,

बाँटी मिठाई महिमा गाई।

भीम जन्म की खुशियाँ मनाईं,

मैंने बाबा भीम ओढ़ाई,

चदरिया नीली रे झीनी।


चयिता

राजबाला धैर्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरिया नारायणपुर,
विकास खण्ड-क्यारा, 
जनपद-बरेली।

Comments

Total Pageviews