72/2024, बाल कहानी-20 अप्रैल


बाल कहानी- राजू और माँ
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एक दिन की बात है। राजू अपने दोस्तों के साथ रविवार की शाम मेला देखने पास के गाँव ये कह कर माँ से गया कि-, "माँ! मैं बस थोड़ी देर में ही आ जाऊँगा। पास के मैदान में क्रिकेट खेलने जा रहा हूँ।"
पर अधिक रात हो गयी। राजू अपने दोस्तों के साथ मेले में घूमता रहा। राजू जब समय पर घर नहीं आया, तो माँ परेशान हो उठी। घबराहट में मन ही मन बड़बड़ाने लगी कि-, "आखिर राजू क्यों नहीं आया? उसको मेरी कोई चिन्ता नहीं कि माँ अकेले परेशान हो रही होगी। पिताजी शहर में है। वो तो अब आने से रहा नहीं, मुझे ही जाकर पता लगाना होगा।"
इधर-उधर ढूँढने और पूछताछ करने पर पता चला कि-, "राजू दोस्तों के साथ पास के गाँव में मेला देखने गया है। राजू की माँ बहुत घबरायी। कितनी रात हो गयी, वह अकेला घर कैसे आयेगा?
राजू मेले में घूमता रहा। उसे समय की खबर ही नहीं रही। उसे अचानक जब भूख लगी, तब याद आया कि माँ से मैंने कहा था कि जल्दी से आऊँगा। माँ मेरा इन्तजार कर रही होगी। माँ ने भी खाना नहीं खाया होगा। वह मेरा इन्तजार कर रही होगी। उसने दोस्तों से कहा कि-, "दोस्तों! अब घर चलो, काफी रात हो गयी है।" जैसे ही राजू अपने दोस्तों के साथ अपने घर की तरफ चला, उसे अँधेरे में बहुत डर लगने लगा।
अँधेरे में उसने देखा कि कुछ जानवर बहुत तेजी में सामने से दौड़े आ रहे हैं। सभी लोग अपनी-अपनी जान बचाकर भागे। राजू भी चिल्लाते हुए भागा और एक गड्ढे में गिर गया। उसे चोट लग गयी। वह रोने लगा, तभी राजू की माँ आ गयी। उसने राजू को रोता देख गले से लगा लिया। राजू ने माँ से गलती की माफी माँगी।
माँ राजू को घर ले आयी। चोट पर दवाई लगायी, फिर प्यार से खाना खिलाया और समझाते हुए बोली-, "बेटा! तुम झूठ कभी मत बोलना। झूठ-फरेब व्यक्ति को कमजोर बनाता है। तुम मेरे बहादुर बेटे हो! तुम्हें नेक काम करके अच्छा इन्सान बनना है।झूठ की आदत कभी अच्छा इन्सान बनने नहीं देगी।"
राजू को माँ का प्यार समझ आया। उसने माँ से वादा किया और खुद इरादा किया कि अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।

संस्कार सन्देश-  
झूठ इन्सान को खोखला बनाता है। सच ताकत देता है। लिहाजा हमें हमेशा सच बोलना चाहिए। 

लेखिका 
शमा परवीन (अनुदेशिका) 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर

✏️ संकलन
📝 टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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