76/2024, बाल कहानी-26 अप्रैल


बाल कहानी- शरारती टिंकू
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टिंकू बहुत शरारती बच्चा था। वह अक्सर शरारत करता था और लोगों को परेशान करके खूब हँसता था। एक दिन टिंकू को शरारत सूझी। उसके पास कुछ पैसे थे। टिंकू को भूख लगी थी। उन पैसों से टिंकू ने एक दर्जन कैले खरीदे। केले खाकर टिंकू सड़क किनारे एक पेड़ के पीछे छुप गया और एक-एक करके केले सड़क पर छुप-छुप कर फेंकने लगा।
दोपहर का वक्त था। एक बुजुर्ग व्यक्ति दवाई लेकर अपने घर की ओर जा रहा था। अचानक वह सड़क पर पड़े छिलके से फिसलकर गिर गया। टिंकू हँसने लगा।
बुजुर्ग व्यक्ति जैसे-तैसे उठकर अपने घर की ओर चल दिया। कुछ देर बाद एक साइकिल वाला फिसल कर गिर गया। इस तरह से लगातार हादसे होते रहे।
कुछ देर बाद टिंकू की अम्मी बाजार से कुछ सामान लेने के लिए घर से बाहर निकली और उसी सड़क के पास जा पहुँची।तेज चाल होने के वजह से वह केले के छिलके को देख नहीं पायी और फिसलकर गिर गयी। गिरते ही चीख निकल पड़ी-, "ए भगवान! मुझे बचाओ।" इतना कहकर टिंकू की माँ बेहोश हो गयी।
टिंकू हँसने वाला था, पर उसे अपनी माँ की आवाज सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। वह तुरन्त माँ की तरफ भागा। माँ की हालत देखकर टिंकू जोर-जोर से रोने लगा और बोला-, "माँ! आँखें खोलिये। आपको कुछ नहीं होगा।
मैं आप को बहुत प्यार करता हूँ। मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूँ।"
कुछ ही देर में टिंकू आस-पास के लोगों की सहायता लेकर माँ को डॉक्टर के पास ले गया। माँ को होश आते ही टिंकू ने सारा सच माँ को बता दिया और रो-रोकर माँ से माफ़ी माँगी। अब शरारत न करने का वादा किया।
टिंकू की माँ ने टिंकू को समझाया-, "बेटा! जैसे तू मुझे मानता है, वैसे हर कोई अपनों को मानता है। जब कोई तेरी शरारत से तकलीफ में पड़ता होगा, उसका परिवार कितना दुःख सहता होगा। अब तू कोई ऐसा काम न करना, जिससे किसी को तकलीफ हो। तू ऐसा काम करना जिससे सबको खुशी मिले।"
"ठीक है माँ! आज से मैं अच्छा बच्चा बनकर दिखाऊँगा, जिससे आपको मुझ पर गर्व महसूस होगा।" यह सुनकर टिंकू की माँ बहुत प्रसन्न हुई।

संस्कार सन्देश - 
हमें किसी को गम देने के बजाय खुशी देने की कोशिश करनी चाहिए।

लेखिका 
शमा परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर

✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
 नैतिक प्रभात

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