75/2024, बाल कहानी-25 अप्रैल
बाल कहानी- सहारा
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शिवम अपने मम्मी-पापा के साथ बाजार गया था। शिवम कक्षा छ: का छात्र था। शिवम के माता-पिता ने कहा-, " शिवम! कुछ देर कार में बैठो! हम अभी सामने वाली दुकान से सामान लेकर आते हैं।"
शिवम ने कहा -, "ठीक है मम्मी! आप लोग जाओ।" कुछ देर बाद शिवम सड़क की तरफ देखने लगा। उसने देखा कि सड़क पर जरूरत से ज्यादा ही गाड़ियाँ चलने लगी हैं।
शिवम के पापा बताते हैं, कुछ साल पहले तक इतनी गाड़ियाँ नहीं थीं और सड़क पर कम भीड़ होती थी।
शिवम ने देखा कि बच्चों और बुजुर्गों को रोड पार करने में दिक्कत महसूस हो रही थी। तभी एक बुजुर्ग बाबा सड़क पार करने के लिए सड़क के किनारे खड़े थे। बुजुर्ग बाबा आधी सड़क तक पहुँचे ही थे कि तेज गति से आई एक मोटरसाइकिल उनके करीब से सटकर निकली। उस पर बैठा हुआ लड़का उनसे कहने लगा-, "बुढ़ऊ! देखकर नहीं चल सकता क्या?"
बुजुर्ग बाबा का आत्मविश्वास डगमगा गया और वह वापस किनारे पर लौट गये। शिवम ने कार से यह सब देखा तो वह कार से नीचे उतरा और बाबा के पास पहुँचा।
उसने बाबा का हाथ पकड़ा और बड़ी ही समझदारी से बाबा को चलती हुई सड़क से दूसरी तरफ पहुँचाया। बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया। दूर खड़े हुए शिवम के माता-पिता ने यह सब देखा तो उन्होंने अपने बेटे से कहा-, "शिवम! तुमने बहुत अच्छा काम किया है। हमें सदा बुजुर्गों की मदद करनी चाहिए और उनका सहारा बनना चाहिए।"
शिवम ने कहा-, "हाँ पापा! और कार में उनके साथ बैठकर अपने घर के लिए निकल गया।
संस्कार सन्देश-
हमें हमेशा बड़े-बूढ़ों के साथ सभ्य व्यवहार करके मदद करनी चाहिए।
लेखिका-
शालिनी (स०अ०)
प्रा० वि०- बनी
अलीगंज (एटा)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर
✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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