कहावतों पर कहानियाॅं
*मिशन शिक्षण संवाद प्रस्तुत करता है*
Weekly express
*शनिवार 20/4/24*
*भाग*98*
*काम का न काज का, दुश्मन अनाज का*
बहुत पुरानी बात है । एक साधु और एक शिष्य जंगल के पास कुटिया बनाकर उसमें साथ- साथ रहते थे। शिष्य थोड़ा भोला था और नया-नया साधु के साथ रहना आरम्भ किया था। साधु ने सोचा कि शिष्य धीरे- धीरे समय के अनुसार अपने आपको ढाल लेगा। दोनों भिक्षा लाते और अपना भोजन कुटिया में बनाकर खाते। शिष्य बहुत आज्ञाकारी था। गुरुजी जो भी आज्ञा देते वह उसे पूरे मनोयोग से निभाता । वह अपनी तरफ से किसी किस्म की कोई समझदारी ना दिखाकर गुरु जी की बात का अक्षरश: पालन करता। उसकी इस बात से साधु खुश भी थे और दुखी भी, क्योंकि सिर्फ आज्ञा पर ही बैठ कर हूबहू वैसा कार्य करने से परेशानी भी काफी होती थी, जिससे साधु परेशान भी रहता। साधु ने कई बार उसे समझाया,"पुत्र हमेशा जैसा मै कहता हूँ वैसा ही तो करो परन्तु अपने मन मस्तिष्क का उपयोग भी जरूर करो।
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शब्द चयन एवम् संकलन
मीनाक्षी तिवारी (स०अ०)
उ०प्रा०वि०सिंगहा
सि०कर्ण,उन्नाव
📝 संकलन
(काव्यांजलि टीम)
*मिशन शिक्षण संवाद*
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