78/2024, बाल कहानी-29 अप्रैल
बाल कहानी- सही समय
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सुमित और रवि कक्षा छ: में पढ़ते थे। दोनों अच्छे मित्र थे। रवि अपने काम को समय पर पूरा करता था, इसलिए अपने शिक्षकों का भी प्रिय था। सुमित की एक बहुत बुरी आदत थी, हर काम को कल पर टाल देने की। कोई भी काम हो, कहता-, "कल कर लूँगा।" अक्सर इस आदत की वजह से घर और स्कूल में डाँट भी खानी पड़ती। गुरु जी बहुत बार समझा चुके थे, पर सुमित नहीं सुधर रहा था।
एक दिन सुमित और उसका मित्र रवि स्कूल जा रहे थे। रास्ते में एक खेत देखा, जिसमें गेहूँ की बालियाँ लहलहा रही थीं, लेकिन पूरे खेत में बहुत सारी चिड़ियाँ आराम से बैठकर गेहूँ के दाने खा रही थी।रवि ने सुमित से कहा-, "देखो सुमित! ये हमारे पड़ोसी रामू काका का खेत है। उनके घरवाले कब से कह रहे हैं कि खेत की रखवाली के लिए किसी नौकर को रखें या स्वयं जाकर खेत देख लें, लेकिन रामू काका रोज आज-कल कहकर खेत जाने को टालते रहते हैं। उनके खेत की फसल खूब मजे लेकर चिड़िया खाये जा रही हैं। आखिर कोई दूसरा कब तक रखवाली करे?"
सुमित ने एक क्षण को ठहरकर उस खेत को देखा और फिर स्कूल चला गया। छुट्टी होने पर सीधा रामू काका के पास गया और बोला-, "काका! आपके लहलहाते खेत की फसल चिड़ियों ने खाकर बर्बाद कर दी। चलकर अपना खेत देखिये।"
रामू काका लपकते हुए खेत की ओर भागे, लेकिन वहाँ पहुंँचने पर केवल पछतावा ही कर सके। उनको देखकर सुमित ने कहा, "अब पछताये होता का, जब चिड़िया चुग गयी खेत।" उसने मन ही मन तय किया कि वह अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देगा और समय बर्बाद नहीं करेगा, क्योंकि समय बीत जाने के बाद सिवाय पछतावे के कुछ नहीं हो सकता है। इसलिए प्रत्येक काम को समय पर करना चाहिए।
संस्कार सन्देश-
नियत समय की आदत डालो,
काम समय पर ही निपटाओ।
नहीं मिलेगा समय दोबारा,
व्यर्थ इसे मत कभी गँवाओ।।
लेखिका-
शिखा वर्मा (प्र०अ०)
उ० प्रा० वि० स्योढ़ा
बिसवाँ (सीतापुर)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर
✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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