58/2024, बाल कहानी- 02 अप्रैल


बाल कहानी- खुशी
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पनेर गाँव में लड़कों के जन्मदिन पर हलुआ और पूड़ी-पकौड़े बनाकर बाँटकर खुशी मनाते हैं, लेकिन किसी भी लड़की का अभी तक जन्मदिन नहीं मनाया गया। 
उसी गाँव की रेवती का यह नया विद्यालय है। जहाँ विद्यालय अभिलेख के अनुसार बच्चे का जन्मदिन मनाने की परम्परा है।
 वह हमेशा की तरह समय से विद्यालय आयी। प्रार्थना सभा के बाद गुरुजी ने बच्चों को रेवती की तरफ इशारा करते हुए "शुभ जन्मदिनं तुभ्यं" कहते हुए रेवती को शुभकामनाएँ और बधाई देने का संकेत दिया।
झट से सारे बच्चों ने उसे अपने हाथों में थाम लिया। कई बार ऊपर उछाला और शुभ जन्मदिन की बधाई दी।
रेवती फूली न समायी। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। आज उसे अपनी वास्तविक खुशी की अनुभूति हुई। छुट्टी के बाद घर जाते हुए उसे आनन्द आ रहा था।
घर आकर रेवती ने जब यह बात अपने माता-पिता को बतायी तो उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई। 

संस्कार सन्देश-
हमें बेटे और बेटी में कोई भेद नहीं करना चाहिए। दोनों एक हैं।
 

लेखिका-
सरोज डिमरी (स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० घतोडा
क्षेत्र कर्णप्रयाग (चमोली)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर


✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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