जय-जय लोकतंत्र

जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र,
जन भागीदारी का मूलमंत्र।

मतदान परम कर्तव्य हमारा,
राष्ट्र धर्म का,  उद्घोष हमारा।
आओ सब ये पर्व मनाएँ हम,
जनप्रतिनिधि चुनते जाएँ हम।
निर्दिष्ट पंथ है शाश्वत प्यारा
     भारत जनगण लोकतंत्र।
जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र।।(1)

सबके ही मत अभिमत का,
यह पथ है जन के जनमत का।
जनमत से शासन चलता है,
मत से सत्ता पथ मिलता है।
नीति न्याय पथ का प्रेरक,
    संबल शासन का लोकतंत्र।
जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र।।(2)

निबलों के भी सबलों के भी,
अधिकार सभी को मत के भी।
समता के आदर्शों पर स्थापित,
मानवता के पथ पर आधारित।
निर्भयता से तुम मतदान करो,
     यह सबसे कहता लोकतंत्र।
जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र।।(3)

राष्ट्र भाव वैचारिकता भरकर,
निज आचारों में शुचिता लेकर।
विधि का शासन अनुशासन हो,
नित विकास पथ परिपालन हो।
सहिष्णुता समता के भावों का,
     रखवाला है यह लोकतंत्र।
जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र।।(4)

निर्लोभ देश हित भावों से,
एकात्म भाव सुख भावों से।
मतदान सभी को करना है,
कर्तव्य पूर्ण निज करना है।
बन जाएगा फिर स्वर्णिम,
     मंगलमय यह लोकतंत्र।
जय लोकतंत्र, जय लोकतंत्र।।(5)

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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