जय भीम

14 अप्रैल डॉ0 भीमराव  अम्बेडकर जयन्ती पर       
          
ये सच है भारत भूमि महान,
जन्मे हैं, यहाँ कई बार भगवान।
पर जन्मा एक ऐसा इंसान,
जिसने बदला देश का संविधान।
 इस पावन भूमि पर,
      एक वर्ग ऐसा था लाचार।
जिस इंसान पर देवों के समक्ष,
     होते रहे नित अत्याचार।
तभी उस महामानव ने,
    उसी वर्ग में जन्म लिया।
घोर उपेक्षाओं को सहकर,
  उस मानव का तारण किया।
देश ही नही दुनिया को भी,
       उसने पाठ पढ़ाया है,
 नारी सर्वश्रेठ रचना है,
    उसे सम्मान दिलाया है।
सब इंसान हैं एक समान,
      यह सबको समझाया है।
धर्म छोड़, शिक्षा को अपनाकर,
  भारत रत्न, सम्मान पाया है।
आज ऋणी है वो हर इंसान,
   अम्बेडकर ही उनके भगवान।
क्योकि, ईश्वर एक-रूप अनेक,
     यह पाठ हमें पढ़ाया है,
जय भीम! जय भीम! जय भीम!
हमने ईश्वर 'उसी' में पाया है।
            
रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
रा0 प्रा0 वि0 लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखंड।


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