हमारी बेटियाँ

एक बेटी को शिक्षित करना,               
दो कुल को शिक्षित करना है।

सम्मान का जीवन जीने की,
आकांक्षा मन में भरना है।।

बिटिया जब शक्ति-परी बनकर,
सपनों की उड़ानें भरती है।

 नवयुग की निर्मात्री बनकर,
इतिहास नया कोई रचती है।।

ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं,       
जहाँ नहीं बेटियाँ छाई हैं।   

धरती से लेकर अम्बर तक,   
निज कीर्ति ध्वजा लहराई है।।

अवसर दें आगे बढ़ने का,     
कुछ स्वयं को साबित करने का। 

कम न समझो इनको हक़ दो,
एक लक्ष्य निर्धारित करने का।।   

हर बुरी नजर धुंधला जाए,   
सूरज बनकर चमकें जग में।   

हर सपना पूरा हो इनका,   
दुनिया कर लें अपने बस में।। 

हम मार्ग करें प्रशस्त इनका,
अभिमान बनें ये शिक्षक का।

निर्भर न रहें, कमजोर  न हों,
अवलम्ब बनें ये खुद अपना।।

रचयिता
किरन बाला,
फुल टाइम टीचर,
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शाहबाद, 
जनपद-रामपुर।

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