३१५~ शीला चतुर्वेदी (प्र०अ०) प्रा०वि० बैरोना, देवरिया

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-देवरिया की अनमोल रत्न बहन शीला चतुर्वेदी जी से करा रहे हैं। जिनके सकारात्मक और समर्पित प्रयासों से एक सरकारी कहा जाने वाला विद्यालय, अब आदर्श एवं सामाजिक विश्वास का केन्द्र बन गया।
 
कहने को तो हम सभी सम्मानित एवं आदरणीय शिक्षक हैं लेकिन शिक्षक के रूप में सामाजिकता को सम्पादित करने एवं मानवता को मजबूत करने के लिए जिस गुरुता की कल्पना की जाती है। उसकी आज भी शिक्षक समाज के बीच कहीं न कहीं कमी देखने को मिल जाती है। जिसे कोई भी बाहरी तंत्र ठीक नहीं कर सकता है जब तक हम सभी स्वयं को अनमोल नहीं समझते हैं यह कार्य कोई असम्भव और दुर्गम नहीं है, जरूरत है सकारात्मक विचार परिवर्तन से व्यवहार परिवर्तन का प्रयास करने की।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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25 दिसंबर- 2005 का यह वो दिन था जब मैंने बेसिक शिक्षा विभाग में प्रवेश किया। वर्तमान समय में मैं प्राथमिक विद्यालय बैरौना में हेडमास्टर के पद पर कार्यरत हूँ । यहाँ पर मैने 22 फरवरी-2014 को कार्यभार ग्रहण किया। उस समय विद्यालय भवन की हालत जर्जर थी एवं रोड पर विद्यालय होने के बावजूद मेन गेट नहीं था। लगभग चार साल से विद्यालय बिना गेट ही संचालित था। फर्श एकदम टूटा हुआ तथा फटी हुई दरी पर बच्चे बैठते थे यहाँ तक कि अध्यापकों के बैठने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। पंखे तो लटके थे पर वायर और कनेक्शन का अभाव था।

विद्यालय में कोई समयसारणी नहीं थी। एक अध्यापक एक कक्षा के आधार पर ही संचालन हो रहा था जो कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए ठीक नहीं था।

तदोपरांत सबसे पहले एक समयसारणी बना कर उस के अनुसार कक्षाओं का संचालन कराया, बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेंन गेट का निर्माण कराया, बच्चों को बैठने के लिए डेस्क बेंच का निर्माण कराया, विद्यालय की मरम्मत करायी। डस्ट फ्री एजुकेशन के तहत व्हाइट बोर्ड और बच्चों के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए पानी का उचित प्रबंध और हाथ धोने के लिए जहाँ-जहाँ पानी की जरुरत थी, वहाँ पर पानी की टोटी का कनेक्शन कराया वह भी सब कुछ अपने निजी खर्च से यहाँ तक की, बच्चों को प्रतिभाग करने हेतु एक मंच का निर्माण कराया जिस में मुझ समेत मेरे समस्त स्टाफ एवं कुछ बच्चों द्वारा श्रम दान भी किया गया। बिजली व्यवस्था करवाई। बच्चों के विकास के लिए पूरे स्कूल के बच्चों को चार सदनों में विभाजित किया तथा प्रत्येक सदन के माध्यम से बच्चों के अंदर आत्म विश्वास, सृजनात्मकता आदि का बहुत विकास हुआ। इस के बदौलत ही मेरे बच्चे लगातार ब्लॉक मंडल स्तर रैली पर प्रतिभाग करते हुए राज्य स्तर तक पहुंचे। समय-समय पर बच्चों को कुशीनगर एवं गोरखपुर जैसे स्थानों पर भी शैक्षिक भ्रमण हेतु ले जाते रहे है जिस का बच्चों के विकास में बहुत योगदान देखने को मिला है।








मैं बहुत आभारी हूं उन सभी लोगों की,

जिनकी बदौलत मुझे प्रेरणा मिलती है अपने किसी भी काम को सुचारु रूप से करने की, जिस के प्रतिफल के रूप में मुझे व मेरे विद्यालय को प्रोत्साहन के तौर पर समय-समय पर प्रशस्ति पत्रों द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है।
जिस के लिए मैं विभाग की आभारी रहूंगी। गत वर्ष से मेरा विद्यालय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय हो गया है।अब आई सी टी के तहत स्मार्ट क्लास के संचालन हेतु स्मार्ट टी.वी. भी लग रहा है जिसका आनलाइन आर्डर दिया जा चुका है।

मेरे इरादों का इम्तहान अभी बाकी है।
अभी तो नापी है मुठ्ठी भर जमीन हमने।
आगे सारा आसमान बाकी है।

धन्यवाद
आपकी शीला चतुर्वेदी (प्र०अ०)
प्रा०वि० बैरोना
देवरिया

संकलन: अफाक अहमद
मिशन शिक्षण संवाद देवरिया।

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

टीम मिशन शिक्षण संवाद
16-04-2019

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