अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक,1,उषा त्रिवेदी उत्तराखंड

*👩🏻‍🏫अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक*

*मिशन शिक्षण संवाद परिवार उत्तराखंड की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*

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*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तिकरण-0 1*
(दिनाँक- 01 अप्रैल 2019)

नाम-उषा त्रिवेदी (प्र0अ0)
विद्यालय-रा0प्रा0वि0 कोट
ब्लाक-नरेंद्र नगर
जिला-टिहरी गढ़वाल
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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प्रथम नियुक्ति-1/3/1995
प्रोन्नति-29/11/2003
कोई भी लक्ष्य व्यक्ति के हौंसलों से बड़ा नही
हारा वही जो लड़ा नही
जी हाँ,विद्यालय मे जीर्ण-शीर्ण भवन व बच्चों के लिये एक मात्र अतिरिक्त कक्ष ,छात्र संख्या45 से50 होने के बाबजूद  मैने अपने छात्रों के सपनों व उनके  माता-पिता  की उम्मीदों को हमेशा  पूरा करने का प्रयास किया। प्र0अ0का पद  ग्रहण करने के पश्चात मैने अपने विद्यालय में नवाचारी कार्यों का प्रारंभ  प्रातःकालीन प्रार्थना सभा से किया जिसमें सप्ताह के प्रत्येक दिन नयी प्रार्थना/गायत्री मंत्र/समूह गान/आज का विचार/समाचार/सामान्य ज्ञान/व्यायाम से की।बच्चों की साफ-सफाई आकर्षक गणवेश/आई कार्ड/ छात्रों की नियमित उपस्तिथि /छात्रों को निशुल्क शिक्षण सामग्री का वितरण व नियमित मासिक बैठकों मे अभिभावकों की अनिवार्य उपस्तिथि व उनसे सम्पर्क स्थापित करना आदि कई  कार्यो की शुरुआत की। मैनें अपने छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु शिक्षण कार्यों मेंT.L.M. व कंप्यूटर का प्रयोग किया। इंग्लिश भाषा में बच्चों को अधिक प्रोत्साहित कर व अतिरिक्त समय  देकर शिक्षण कार्य किया। इसके अतिरिक्त खेलकूद , क्राफ्ट वर्क व बालसभा केआयोजन के साथ-साथ चित्रकला ,सामान्य ज्ञान व सुलेख आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन कर छात्रों को पुरस्कृत कर  उनके हौंसलों को उड़ान दी।
परिणामस्वरुप बच्चों के द्वारा संकुल से जिले तक विभिन्न प्रतियोगिताओ में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने अभिभावकों के विश्वास को पूर्ण ही नही किया बल्कि सरकारी स्कूलों के प्रति नकारात्मक सोच को  भी बदला जिससेनिजी विद्यालयों से बच्चों ने हमारे विद्यालय में प्रवेश लिया। मैने अपनी बेटी का नामांकन भी अपने ही विद्यालय में कराया ।बढ़ती छात्र संख्या बच्चों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को हमारे उच्चाधिकारियों ने भी सराहा व 2018 में मुझे महामहिम राज्यपाल महोदया द्वारा गवर्नर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया ।अभिभावकों,छात्रों व हमारे द्वारा देखा गया विद्यालय भवन का स्वपन भी अब पूर्ण हो गया। अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन अपने हौंसलों को मैने कभी कमजोर नही पड़ने दिया।अपने आत्मविश्वास व मेहनत से मैंअपने लक्ष्य की ओर बढ़ती गई ।आगे भी मैं हमेशा  अपने विद्यालय व छात्रों के लिये पूर्णरूप से समर्पित होकर काम करती रहूँगी।
सन्देश -कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत करना नहीं छोड़ते।

_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखंड*

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