अम्बेडकर जी को नमन

भारत के संविधान निर्माता,
जो थे एक राष्ट्रीय नेता।
किया सामना निम्न मानसिकता का,
उनके जीवन की संघर्षपूर्ण  गाथा।

अपमान की यातनाएँ सहनी पड़ी,
यहीं से बनी जीवन की कड़ी।
14 अप्रैल 1891 को जन्म हुआ,
मध्यप्रदेश के महू इंदौर में हुआ।

बचपन का नाम भीमसकपाल,
मराठी, गणित, अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान।
जिस जाति में जन्म लिया,
समाज ने निम्न समझ लिया।

पढ़ना चाहते थे संस्कृत,
समाज ने किया उन्हें कलंकित।
छुआ छूत का था दिखावा,
भीमराव जी को समझ न आया।

कुशाग्र बुद्धि के थे भीम जी,
पढ़ाई में सबसे आगे भीम जी।
छात्रवृत्ति भी प्राप्त की,
आगे की पढ़ाई विदेश में की।

अर्थशास्त्र, राजनीति, कानून का ज्ञान,
पी एच डी से मिली पहचान।
सैनिक सचिव का पद मिला,
काम मेहनत से फिर किया।

पल-पल में अपमान मिला,
अपमानित होने पर पद त्याग दिया।
बम्बई वापस फिर आ गए,
'वॉर एट लॉ' की उपाधि लिए।

छुआ छूत और सामाजिक भेदभाव,
बहुत सहन कर लिया।
अब नही होगा ये सब,
इसलिए वकालत का पेशा चुन लिया।

फिर आया सुनहरा दिन,
सविंधान प्रारूप समिति का गठन।
भीमराव जी को अध्यक्ष चुना गया,
फिर कानूनों में सुधार किया।

सबको मिला समानता का अधिकार,
अछूतों को मिला नया जीवनदान।
समाज मे सम्मान मिला,
भारत का सविंधान लिखा।

ऐसे समाजसुधारक न हुए,
भेदभाव व विषमता के आगे न झुके।
किये उन्होंने महान कार्य,
समाज मे बन गए श्रद्धेय।

भीमराव आंबेडकर जी को नमन,
जो भारत में लाये अमन।
भीमराव जी ने सबका उद्धार किया,
भारत का आधुनिक मनु भी कहा गया।

ऐसे महापुरुष की जयंती पर,
सभी देशवासियों का शत नमन।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

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