३१८~ अजय कुमार श्रीवास्तव (स०अ०) प्राथमिक विद्यालय टेवाँ प्रथम, मंझनपुर, कौशाम्बी

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- कौशाम्बी से अनमोल रत्न शिक्षक साथी अजय कुमार श्रीवास्तव जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास एवं शिक्षण गतिविधियों का केन्द्र बना दिया साथ ही मिशन शिक्षण संवाद की कोशिश को सार्थक कर दिया जिसने विभिन्न विद्यालयों में फैले हुए एक-एक चने को चुन-चुन कर मिशन शिक्षण संवाद परिवार की संगठित और प्रेरक शक्ति बना दिया। आज विद्यालय स्तर की विषम परिस्थितियों में काम करने वाला कोई भी अनमोल रत्न अपने को अकेला पा कर हतोत्साहित नहीं होता है बल्कि एक परिवार की सकारात्मक शक्ति पाकर हर परिस्थिति में अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति को संरक्षित करने में निपुण हो रहे है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
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मैं अजय कुमार श्रीवास्तव (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय टेवाँ प्रथम, मंझनपुर, कौशाम्बी से

🤝मेरा प्रयास और मिशन शिक्षण संवाद का अमूल्य सहयोग🤝

आज मैं अपने विद्यालय की कुछ बातें बताने जा रहा हूँ। मेरी नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय टेवाँ प्रथम में स० अ० के पद पर 31/12/2015 में हुई। जिस समय मैं विद्यालय आया उस समय भी नामांकन 200 के ऊपर था लेकिन प्रतिदिन बच्चे विद्यालय नहीं आते थे। मैं प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाकर अच्छी शिक्षा देना चाहता था।
मैं बहुत सोचता था बच्चों की शिक्षा में सुधार करने को लेकिन जितना चाहता था उतना नहीं कर पा रहा था। कुछ ही कर पाता था। बहुत सी बातें बस मन में ही रह जाती थीं।बच्चों के शिक्षण में बदलाव लाने की मन में बहुत इच्छा थी। जब सुधार कार्य शुरू किया तो बहुत सी परेशानियां आने लगीं। कभी बच्चों की लापरवाही तो कभी लोगों द्वारा मेरा मजाक बनाया जाने लगा।
कुछ लोगों ने कहा कि अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता।
06 माह में ही सुधार भूल जाओगे। यही बातें मन को पीड़ा देती थीं।
एक दिन मैंने निश्चय किया कि अब मैं किसी की नहीं सुनूँगा। बस केवल बच्चों के प्रति समर्पित हो जाऊँगा।
मैंने बच्चों की प्रतिदिन की उपस्थिति पर पहला ध्यान केंद्रित किया। विद्यालय समय से काफी पहले जा जाकर बच्चों के माता-पिता से मिलना शुरू किया। समझाना शुरू किया। धीरे-धीरे गाँव वालों का विश्वास मुझ पर बढ़ने लगा। अब विद्यालय में प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति सुधरने लगी। मैं बच्चों की पढ़ाई पर पहले से ज्यादा मन से ध्यान देने लगा। विद्यालय को फूलों के पौधों से सजाने लगा। गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाने लगा। प्रत्येक बुधवार को छुट्टी के 01 घंटे के बाद बच्चों के बारे में जानकारी लेने गाँव में जाने लगा।अब गाँव वाले मुझ पर पूरी तरह विश्वास करने लगे। मैंने बच्चों को पढ़ाने के लिए नये-नये नवाचारों का प्रयोग किया जैसे-लड़कियों को खेलने के लिए रस्सी लाकर दिया, कला के साथ मेहंदी लगाने की किताबें एवं मेंहदी खरीद कर दिया और मेंहदी लगाना भी सिखाया।लड़कों के लिए गेंद खरीद कर दिया और कला के प्रति रुचि जगाया।
एक दिन मुझसे नवाचार की फ़ाइल माँगी गई। मैंने स्वयं द्वारा अपनाये गए नवाचारों को लिखकर दिया और मुझे प्रयागराज मंडल से प्रमाण पत्र भी मिला। मैं अपने कार्य को मन से कर रहा था। तभी मुझे जिले में दीपावली मेले में प्रदर्शनी लगाने का अवसर प्राप्त हुआ। दीपावली मेले ने बच्चों के उत्साह को बढ़ा दिया। बच्चे अब विद्यालय से लगाव रखने लगे। एक दिन मुझे नवाचार के प्रस्तुति के लिये जिले पर भेजा गया।मुझे बहुत अच्छा लगा।
मेरे लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसी दिन मुझे मिशन शिक्षण संवाद के साथी मिले और पाठक सर ने मुझे मिशन शिक्षण संवाद के बारे में बताया और दीपनारायण सर ने स्वागत के साथ ग्रुप में मुझे स्थान दिया।
अब मुझे लगने लगा कि मैं अकेले नहीं हूँ मेरे साथ मिशन शिक्षण संवाद है। अब चना अकेले नहीं है। अब तो बच्चों का सुधार होकर ही रहेगा। अब मेरे मन से जो भी झिझक था सब दूर हो गया था।
अब मैं पूर्ण उत्साह एवं सकारात्मक सोंच के साथ कार्य करने लगा।
इसी बीच 02 अक्टूबर 2018 के दिन मेरे द्वारा किये गए कार्यों के लिए मुझे जिलाधिकारी महोदय द्वारा प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद जिले में
कहानी सुनाने की प्रतियोगिता में जिले में प्रथम स्थान आने पर डायट की तरफ से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
मिशन शिक्षण संवाद के श्री दीपनारायण सर, हरिओम सर, प्रभात सर, पाठक सर ने मुझे बहुत प्रेरणा दी।
ग्रुप के प्रत्येक सदस्य ने हमेशा उत्साहवर्धन किया जिसके परिणामस्वरूप आज मैं बहुत से नवाचारों का प्रयोग कर रहा हूँ। बच्चों की शिक्षा सुधार में अपना योगदान दे रहा हूँ।

प्रस्तुत हैं कुछ नवाचार-

👉1-फूलों के माध्यम से बच्चों का विद्यालय से जुड़ाव का प्रयास।
👉2-गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य।
👉3-राष्ट्रीय पर्वों को अच्छे से मनाया जाना।
👉4-मिट्टी के खिलौनों एवं क्राफ्ट कार्य से निर्माण कार्य करना।
👉5-बच्चों को स्वयं के बोल लिखने के लिये ब्लैकबोर्ड लगाना।
👉6-शिक्षक के लिए प्रतिदिन का विचार लिखने के लिए व्हाइट बोर्ड लगाया जाना।
👉7-प्रार्थना सभा में बच्चों को कई तरह के प्रार्थना याद कराना।
👉8-स्वयं Pledge लिखकर बच्चों से Pledge करवाना।
👉9-प्रार्थना सभा में प्रत्येक दिन के लिए विशेष कार्यक्रम जैसे-Dress, Hair, Nail, Shoes, Socks चेकिंग Day, clapping Day, छोटी-छोटी मगर मोटी बातें Day, Slogans Day, G.S Day के माध्यम से बच्चों को अच्छी आदतें सिखाना एवं बोलने में होने वाली झिझक को दूर करना।
👉10-बच्चों के सहयोग से T.L.M. का निर्माण करना।
👉11-भोजन मंत्र का अच्छी तरह से कराया जाना।
👉13-छुट्टी के समय प्रार्थना को कराना।

















ईश्वर की कृपा एवं आप सबके उत्साहवर्धन से भविष्य में मेरे द्वारा प्रतिदिन नवाचार किया जाता रहेगा।वर्तमान में मेरे विद्यालय में 252 बच्चों का नामांकन है।
अंत में मैं मिशन शिक्षण संवाद को सहृदय धन्यवाद देता हूँ। जिनके सकारात्मक प्रेरणा से मैं कुछ अच्छा करने की ऊर्जा प्राप्त करता हूँ।

साभार-
अजय कुमार श्रीवास्तव (स.अ.)
प्राथमिक विद्यालय टेवाँ प्रथम, मंझनपुर,कौशाम्बी।

टीम मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी।।

संकलन: दीप नारायण मिश्र
मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 & 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

साभारः
टीम मिशन शिक्षण संवाद
20-04-2019

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