नन्हें बच्चों स्कूल आओ

बच्चों स्कूल आ जाओ,
अब सब स्कूल आ जाओ,
शिक्षकों ने है स्कूल सजाया,
पौष्टिक जिसमें खाना बनवाया,
छोटी-छोटी क्यारी सजाई,
जिनमें मुस्कान तुम्हीं से है छाई,
अपनी प्यारी-प्यारी मुस्कराहटों से,
ये मंदिर रोशन कर जाओ,
बच्चों स्कूल आ जाओ,
अब सब स्कूल आ जाओ।

इस मंदिर मे ज्ञान जो मिलता है,
जीवन भर साथ वो चलता है,
जीवन की इस कठिन डगर पर,
अक्षर ही रौशनी करता है,
जीवन के टेढ़े रास्तों से,
अभी तुम अनजान हो,
आने वाले भविष्य की,
तुम सब ही तो पहचान हो।
स्कूल की छोटी बगिया को,
तुम सब आबाद कर जाओ
बच्चों स्कूल आ जाओ,
अब सब स्कूल आ जाओ।

नई-नई गतिविधियों से रोज,
दीदी पाठ सिखाती हैं,
जो विधियाँ हमारे जीवन में,
रोज काम आती हैं,
जीवन यापन के लिए,
शिक्षित होना बहुत जरुरी है,
शिक्षा के बिन सच मानो,
जीवन शैली अधूरी है,
जो सपना देखा है भविष्य का,
वो सपना साकार कर जाओ
बच्चों स्कूल आ जाओ,
सारे स्कूल आ जाओ....

रचयिता
आकांक्षा सिंह तोमर,
सहायक अध्यापक,
प्राइमरी स्कूल झरोइया सेकंड,
विकास खण्ड-कोथावां,
जनपद-हरदोई।

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