माता महागौरी
अष्टम दिवस अब आया रे।
माँ महागौरी को भोग लगाया रे।।
माता के गौर्य वर्ण की उपमा,
शंख चक्र कुंद पुष्प के जैसी।
चतु:भुजाएँ वृषभ वाहन है,
सच्ची प्रतिमा लगती ऐसी।।
हाथों में डमरु और त्रिशूल,
एक हाथ अभय मुद्रा देती।
दूजे हाथ वर मुद्रा की स्थिति,
खाली झोली है भर देती।।
वरदान बड़ा ही पाया रे
माँ महागौरी............
रहे सलामत सुहाग सभी का,
माता को चुनरी चढ़ाना है।
ध्यान स्मरण पूजन से भक्तों,
माँ गौरी को आज मनाना है।।
सुनें पुकार जब मेरी मैया,
क्षण भर में कष्टों को हरती।
कल्याणकारी रूप सलोना,
नेत्रों को शीतलता है देती।।
नौ देवियों का आशीष पाया रे,
माँ महागौरी...............
अष्टम दिवस आज आया रे।
माँ महागौरी को भोग लगाया रे।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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