सत्य की जीत
मर्यादा की खान हैं, रघुकुल के श्रीराम।
युगों युगों से गूँजता, जग में इनका नाम।।
जीत हुई है सत्य की, झूठ हुआ लाचार।
नष्ट हुआ आतंक है, फैली शान्ति अपार।।
अत्याचारी था सदा, रावण कुटिल अपार।
बुरी नियत का हो गया, जीवन सब बेकार।।
मिली बुराई को यहाँ, देखो आखिर हार।
कठिन राह थी सत्य की, अंत हुआ साकार।।
विजय दिवस की सीख लो, टूट गया लंकेश।।
दीपक कुल का खो दिया, बचा नहीं कुछ शेष।।
संदेशा अब दे रहा, दशमी का त्योहार।
सदा बुराई हारती, मिलता कष्ट अपार।।
चलते रहना सत्य पर, होगा बेड़ा पार।
दो असत्य को त्याग तुम, ईश मिलेगा प्यार।।
काम, क्रोध, मद, मोह को, करे दशहरा दूर।
सारे अवगुण नष्ट कर, बने मनुज हैं शूर।।
राम संग जब जानकी, आईं अपने धाम।
सुंदर मूरत देखकर, करते लोग प्रणाम।।
सभी घरों के द्वार पर, दीपक रखे हजार।
सच की ज्वाला में जले, झूठ सदन संसार।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
Comments
Post a Comment