अशफाक उल्लाह खान

आओ सुनाएँ अशफ़ाक उल्लाह की कहानी,

स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी।

22 अक्टूबर 1900 शाहजहांपुर में अवतरित,

नया संगठन बनाए थे ये स्वतंत्रता सेनानी।


9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड किया,

बिस्मिल, आजाद, बनवारी लाल ने साथ दिया।

ब्रितानी सरकार का खजाना लूटा,

मुश्किल से सरकार ने पता लगाया।।


दोस्त के धोखे ने गिरफ्तार कराया,

फैजाबाद कारावास में समय बिताया।

कारावास में कुरान का किया पाठ,

नियमित तौर पर नमाज़ अदा किया।।


19 दिसंबर 1927 को फाँसी का हुक्म आया,

अमर होकर अशफाक हर दिल में समाया।

क्रांतिकारी व्यक्तित्व, स्पष्ट सोच अडिग था साहस,

दृढ़ निश्चय निष्ठा ने उनको किवंदती बनाया।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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