अमृत बरसाती चाँदनी

यूँ तो पूर्णिमा पर चाँदनी चाँद की,

निशा का रूप सौंदर्य बढ़ाती है।

पर शरद पूर्णिमा पर धवल चाँदनी,

नील गगन से अमृत बरसाती है।।


 औषधीय तत्वों से भरपूर चाँदनी,

 शरीर को रोगों से मुक्ति दिलाती है।

 निहारते रात्रि में जब सौंदर्य चंद्रमा का,

 नयनों को नव रोशनी मिल जाती है।।


प्रेम रस में झूमती इठलाती गोपियाँ,

सोलह श्रृंगार कर रूप सौंदर्य बढ़ाती है।

करो हरि दूर, विरह वियोग की पीडा,

 ठाकुर जी से अरदास लगाती हैं।।


गोपियों, भक्तों के भक्ति भाव से,

श्री हरी वृंदावन धाम दौड़े चले आते हैं। 

 शीतल चाँदनी के अलौकिक प्रकाश में,

 राधा रानी, गोपियों संग महारास रचाते हैं।।


है जीवन चंद्र का, मानव जीवन समान,

कभी सुख कभी दुख का आभास होता है। 

कर अंधकार से उजाले की यात्रा पूरी चंद्रमा,

जीवन में समरसता लाने का संदेश देता है।


रचयिता

अमित गोयल,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा,

विकास क्षेत्र व जनपद-बागपत।

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