माँ चंद्रघंटा स्तुति

नवरात्रि का तृतीय दिन आया सुहाना,

माँ चंद्रघंटा को हमको है मनाना।

भक्तों पर कृपालु हैं चंद्रघंटा मैया,

निर्भय और सौम्य माँ सबको बनाना।।


शेर पर सवार मेरी माँ आई है,

दस हस्त मैया अस्त्र-शस्त्र से सजाई है।

कमल और कमंडल मां5 के हाथ साजे,

माथे पर अर्धचंद्र पहचान बताई है।।


श्वेत कमल, पीत गुलाब मैया को अर्पित,

भक्ति में मैया की ये जीवन है समर्पित।

असुरों को आतंक मिटाने लिया अवतार,

साधक का मन "मणिपूर चक्र" में प्रविष्ट।।


शक्तिदायक, कल्याणकारी माँ का यह रूप,

मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत मानों प्रतिपल।

साधना से पाप, बाधाएँ होती हैं विनष्ट,

स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य प्रतिरूप।।


पवित्र मन, वचन, कर्म से जो उपासना करें,

समस्त सांसारिक कष्ट हमारे फिर टरें।

इहलोक, परलोक कल्याणकारी होता,

हम अज्ञानी माँ आपको नमन करें।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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