लाल बहादुर शास्त्री
भारत के माटी में जन्मे,
मोती बड़े कमाल थे,
माँ के राजमुकुट में शोभित,
शास्त्री जी वो लाल थे।
विद्यालय की शिक्षा जिसने,
नदी तैरकर पाई थी,
देश की सेवा में अर्पित,
कर दी अपनी तरुणाई थी,
जाति धर्म की वेदी पर,
समिधा दे ज्योति जलाई थी,
ज्ञान के बल पर शास्त्री जैसी,
श्रेष्ठ उपाधि पाई थी।
जय जवान जय किसान का,
ओज पूर्ण था मंत्र दिया,
एक दिन व्रत के आह्वन से,
था अकाल को खत्म किया,
कोमल काया मर्म हृदय से,
दायित्व का निर्वहन किया,
कठिन समय में आस का दीपक,
जला क्रान्ति को सुदृढ़ किया।
स्वार्थ हितों से रहे दूर वो,
देश की सेवा करते थे,
भारत के प्रधानमंत्री दूजे,
जन जन के मन में बसते थे,
भारत पाक युद्ध में अपनी,
श्रेष्ठ नीति दिखलाई थी,
ताशकंद के समझौते में,
प्राणों की बलि चढ़ाई थी।।
रचयिता
सीमा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय काज़ीखेडा,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
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