माँ के नौ रूप
नवरात्रि में माँ के हमने नौ रूपों को देखा
हर इक रुप में एक ज्ञान था जो हम सबने सीखा
मिशन शक्ति ने नवरात्रि का रूप अनोखा बनाया
हर कन्या, नारी को हमने जागरूक भी बनाया
प्रथम "शैलपुत्री" माँ ने हम सबका कल्याण किया
"हेल्पलाइन नंबर" का हमने मिलकर खूब प्रचार किया
द्वितीय "ब्रह्मचारिणी" माँ ने तप किया था भारी
हमने समझाई सबको "सुरक्षा व संरक्षा" की जिम्मेदारी
तृतीय "चंद्रघंटा" माँ के मस्तक पर चंद्र विराजे
"पॉक्सो एक्ट" से हर अपराधी को सजा कठोर दिलावें
चौथी "कुष्मांडा" आदिशक्ति ने की थी ब्रह्मांड की रचना
"मौलिक अधिकारों" को सब जाने यही हमारी है कामना
पंचम "स्कंदमाता" का मुख तेज है सूर्य मंडल- सा
प्रखर बने हम सूर्य से चमकें सहें ना "घरेलू हिंसा"
षष्टम "कात्यायनी" माँ का रूप स्वर्ण सा दमके
"स्वास्थ्य और सुरक्षा" को अपनाकर हम भी ऐसे चमके
सप्तम "कालरात्रि" माँ ने धरती से मिटाई दुष्टता
नर और नारी एक समान हैं, अपनाएँ "लैंगिक समानता"
अष्टम श्वेतवर्णी "महागौरी" माँ ने जग का उद्धार किया
"आत्म सुरक्षा" को अपनाकर स्वयं को हमने तैयार किया
नवम "सिद्धिदात्री" माँ ने जन-जन को कोटि वरदान दिए
"बाल अधिकार" के ज्ञान से कोई भी जन वंचित अब ना रहे
नौ दिन माँ के हर स्वरूप ने बात हमें समझाई
देखो इसके बाद विजय की "विजयदशमी" है आई
अपने अंदर के रावण का दहन स्वयं ही करना है
मिशन शक्ति के पुण्य लक्ष्य का वरण हमें करना है।
रचयिता
भारती खत्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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