वाल्मीकि जयंती
त्रेता युग में जन्मे थे रत्नाकर,
प्रचेता के पुत्र, भील ले गये उठाकर
कुख्यात डाकूओं सा जीवन बिताया,
मरा-मरा कह, राम को हृदय बसाया।।
अपने तप ज्ञान से बने,
वैदिक काल के ऋषि महान।
वाल्मीकि जग में कहलाये,
समस्त सतगुणों की खान।।
करुण वेदना फूटी हृदय से
प्रथम काव्य बना विधान
संस्कृत रामायण की रचना की
बना आश्रम उनका पावन धाम
गर्भवती सीता मैया को दिया,
तुमने सहारा बेटी सम जान।
लव-कुश जन्मे कुटिया में उनके,
दिया वेद पुराण का सभी ज्ञान।।
रामायण का घर-घर होता,
सुख समृद्धि को गुणगान।
राम सम चरित्र हो सभी का,
पुत्र मिले सबको राम समान।।
युगों-युगों तक पढ़ती रहेगी,
दुनिया रामायण का पाठ।
बारम्बार नमन है तुझको,
शाश्वत हो वाल्मीकि तेरी ठाठ।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
बहुत सुन्दर👌👌👌👌
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