जीवन रक्षा

 धरा का जीवन है संकट में,

 मिलकर हमको बचाना है।

 सिसक रही है भूमि हमारी,

 वृक्षारोपण भी करवाना है।।


 जंगल बाग बगीचे में अब,

 कटाव दरख़्तों का रोकना है।

 जीवनदायी ऑक्सीजन के हेतु,

 वसुधा को तरुओं से सजाना है।।


 घर से बेघर हो रहे हैं अब, 

 बेबस कानन के सब जीव। 

 कमी हो गई वृक्षों की तो,

 जीवन हो जाएगा निर्जीव।।


  है जनसंख्या वृद्धि का सैलाब,

  सामंजस्य कैसे कर पाएँगे। 

  आपस में घटा अनुपात यदि,

  जीव- विटप ना जी पाएँगे।।


  धरती के जीवन की खातिर,

  प्रेरणात्मक कदम उठाना है।

  कदम-कदम पर जनमानस को,

  एक पौधा जरूर लगाना है।।


  देना हो उपहार किसी को तो,

  पौधे का तोहफा उत्तम होगा।

  करें संकल्प उसकी रक्षा की तो,

  भविष्य सभी का उज्ज्वल होगा।। 


  वृक्षारोपण तरु रक्षा करें, 

  जन-जन को समझाना है।

  माँ पृथ्वी के हृदय को,

  नन्हे अंकुर से हर्षाना है।।


  आओ मिलकर प्रण करें सब,

  भूमि रक्षा को अब अपनाना है।

  इस संकल्प की पूर्णता हेतु,

  हर वर्ष वृक्षारोपण करवाना है।।


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।

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