नमन करूँ कुष्मांडा माता
महाशक्ति और तेज की धाता।
नमन करूँ कूष्मांडा माता।।
आदि स्वरूपा तुम सृष्टि की,
अंत: सूर्यमंडल करतीं निवास।
शक्ति क्षमता युक्त हो मैया,
दसों दिशा में फैलाती प्रकाश।।
अर्क सा तेज है समाता,
नमन कँरू............
अष्ट भुजाओं वाली हो माता,
प्रथम हस्त कमंडल थामा।
धनुष बाण कमल पुष्प संग,
अमृत कलश चक्र गदा नामा।।
अष्टम हस्त जपमाला माता,
नमन करूँ............
माँ कूष्मांडा की उपासना,
श्रद्धा से जो साधक करता।
आयु, यश, बल, आरोग में,
सर्वदा वृद्धि है वह पाता।।
माँ शरणागत वह बन जाता,
नमन करूँ...............
मंद हँसी ब्रह्मांड उत्पन्ना,
कूष्मांडा नाम पाया माता।
बलि कुम्हड़े की अति भाति,
जो साधक है तुम्हें चढ़ाता।
वह फल सिद्धि को है पाता,
नमन करूँ............
दीर्घ माथ स्त्री का पूजन,
दही हलवा कराएँ भोजन।
भेंट करें सौभाग्य सामग्री,
माता होवे अत्यंत प्रसन्न।।
मनवांछित फल भक्त पाता,
नमन करूँ..................
महाशक्ति और तेज की दाता।
नमन करूँ कुष्मांडा माता।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
Comments
Post a Comment