जगत जननी जगदम्बा
आई हूँ द्वार तेरे मैया,
मुझ पर भी कृपा कर दो।
करती हो कृपा सब पर,
मुझ पर भी कृपा कर दो।।
जगत जननी जगदम्बे,
सिद्धिदात्री माता अम्बे।
भव संकट दूर हो जाएँ
बस इतनी कृपा कर दो।।
दुर्गा माँ के रूप निराले,
असुर वृत्ति को संहारे।
दुष्टों का माँ नाश करो,
बस इतनी कृपा कर दो।।
सुख-समृद्धि देने वाली,
बिगड़े भाग्य बनाने वाली।
धरा धन धान्य से पूरित हो
बस इतनी कृपा कर दो।।
निश्छल प्रेम जगाकर सब में,
ईर्ष्या-द्वेष, कलह को दूर करें।
हे! ममतामयी माँ, पुकार सुनो,
बस इतनी कृपा तुम कर दो।।
रचयिता
प्रतिमा उमराव,
सहायक शिक्षिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमौली,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फतेहपुर।
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