वाल्मीकि जयंती
अश्विन मास के पूर्णचंद्र के दिन
वाल्मीकि जयंती हम मनाते हैं
वाल्मीकि मंदिरों में करते हैं रोशनी
प्रेम और स्नेह से फूल माला चढ़ाते हैं
महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ
बेगू गोत्र के हिंदू परिवार में
पहला नाम था रत्नाकरदाह उनका
बनकर डाकू लुटेरे लग गए अत्याचार में
कमाने का ना पता था और कोई रास्ता
बहुत ही गरीबी थी उनके परिवार में
लूटने और मारने की नारद ऋषि को
थी एक दिन रत्नाकरदाह ने योजना बनाई
जिन की खातिर करते हो पाप,
नहीं होंगे वे साथी, तुम्हारे पाप कर्म में नारद ने बात समझाई
तब जाने जीवन का वास्तविक अर्थ वह
नारद ने दिया मंत्र मोक्ष का तब सद्बुद्धि आई
संस्कृत भाषा के पहले कवि बने यह
रामायण रचकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
सीता की संतान थे लव कुश
उनको रामायण की कहानी सुनाई
अमर हो गए यह महान ऋषि
रामायण को रचकर
पवित्र ग्रंथ है यह हिंदुओं का
पढ़ी जाती है आज भी घर-घर
रचयिता
भावना तोमर,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय नं०-1 मवीकलां,
विकास खण्ड-खेकड़ा,
जनपद-बागपत।
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