महर्षि वाल्मीकि

वाल्मीकि नाम है जिनका, 

आदिकवि वे कहलाए।

प्रभु राम के जीवन से,

परिचय जग का करवाए।।


पुण्य भूमि भारत में जन्मे,

अश्विनी मास की पूर्णिमा को। 

माता चर्षणी की गोदी में,

पिता सुमाली दुलारें रत्नाकर को।।


रत्नाकर से वाल्मीकि बने, 

इसकी भी रोचक कहानी।

सत्संग की अनुपम महिमा,

खुदके जीवन से ही जानी।।


रत्नाकर का जीवन जीते- जीते,

मरा- मरा ही निकले मुख से।

नारदमुनि की दया, कृपा से, 

मरा- मरा ही राम- राम बनते।।


रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ, 
जनपद-बाँदा।



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