माँ नवदुर्गा
माँ नवदुर्गा सदन पधारीं, शुभ नवरात्रि आयी,
नौ रूप धरे हैं माता ने, हैं सबके मनभायी।
पलकन माँ की डगर बुहारी, आशा ज्योति जलायी,
प्रेम सुमन को गूँथ-गूँथ कर, हार गले पहनायी।।
शैलपुत्री व ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा मईया,
माँ कुष्मांडा व स्कंदमाता, कात्यायनी मईया।
कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री मईया,
जीवन के इस भवसागर में, तू सहारा मईया।।
अनुपम छवि मैं निरखे जाऊँ, वर्णन को शब्द नहीं,
माँ ही भरती झोली खाली, जाऊँ क्यूँ और कहीं।
आस लगाकर तुमसे माता, मैंने टेर लगायी,
माँ मेरी आशीष मुझे दें, पग में शीश झुकायी।।
सुख-समृद्धि जीवन में लाये, मात का शुभ पदार्पण,
वंदन करती हाथ जोड़कर, मन में पूर्ण समर्पण।
जिसमें देखूँ अपनी सूरत, हो माँ तुम वो दर्पण,
सब गुण-दोष सुमन करती है, माता तुमको अर्पण।।
रचयिता
सुमन सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बिल्ली,
विकास खण्ड-चोपन,
जनपद-सोनभद्र।
सादर प्रणाम (Didi),mem, मेरे पास तो शब्द ही नहीं है क्यो कि मेरी सोच जहां खत्म होती है आप की वहां से प्रारंभ मां दुर्गा के लिए जो पंक्तियां लिखी है वह वंदनीय है।
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