विश्व खाद्य दिवस
16 अक्टूबर का दिन, है आज बहुत विशेष,
भूखा ना हो कोई, भोजन ना हो थाली में शेष।
भोजन की ना हो बर्बादी, प्यारे तुम अब जागो,
'अन्न ही जीवन है', जरूरतमंदों तक पहुँचाओ।
शादी, पार्टी या हो यारों, कहीं रस्म-ए-सगाई,
उतना खाना हो प्लेट में, जितना भूख है आई।
बचे खाने को, स्वच्छ इकट्ठा हम करायें,
क्षुधा मिटे गरीब की, आशीष ऐसा पायें।
20 हजार से भी ज्यादा लोग, भूख से हैं मजबूर,
कहीं खाना है कूड़े में, कहीं एक रोटी से हैं दूर।
एक तिहाई खाना होता, दुनिया में रोज नुकसान,
दाना-दाना बचें तो, भुखमरी से बचना हो आसान।
पेट की भूख मिटाने को, करता हर इंसान काम,
दो वक्त की रोटी को, जीवन बना संघर्षों का नाम।
भोजन पाना है सबका, ये मौलिक अधिकार,
कूड़े में जाए भोजन, है मानव तुझे धिक्कार।
भूखे को भोजन मिले, आओ अब प्रण लें हम,
भोजन जाया ना करें, खायें एक निवाला कम।
1945 में, संयुक्त कृषि संगठन की हुई स्थापना,
गरीब देशों में भुखमरी का, था विषम मुद्दा बना।
स्वस्थ कल के लिए सुरक्षित भोजन है जरूरी,
भोजन की बर्बादी रोक, मानव धर्म करो पूरी।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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